|
पीयूष वाणी |
|
* काम और कà¥à¤°à¥‹à¤§ ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‰à¤‚ हैं जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ को उपहार मे मिली हैं, इनको नियंतà¥à¤°à¤£ में रख
कर इनका ठीक-ठीक उपयोग करना ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिये शà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥à¤•à¤° है और यही धरà¥à¤® है ।
** जिन करà¥à¤®à¥‹ से जीव का आतà¥à¤® कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हो, जिनसे वह ईशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¥à¤°à¤¾à¤—ी बने, उसे शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹ ने 'धरà¥à¤®'
कहा है। धरà¥à¤® के अरà¥à¤¥-करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ वा डà¥à¤¯à¥‚टी के हैं । धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤‚थो में धरà¥à¤® के तीन सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ माने गठहैं। त
प, अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® और दान; इन तीन सà¥à¤¤à¤®à¥à¤à¥‹ पर धरà¥à¤® की ईमारत खडी है
|
|
Athugasemdir |
|
|
|